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करनाल। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) की नेशनल रेफरल सेंटर फॉर मिल्क क्वालिटी एंड सेफ्टी लैब अब नाम की ही नहीं बल्कि वास्तव में राष्ट्रीय स्तर पर रेफरल लैब बन गई है, क्योंकि केंद्र सरकार ने इस राष्ट्रीय लैब को रेफरल लैब की मान्यता देते हुए गजट में नोटिफिकेशन कर दिया है। अब इस लैब में दूध एवं दूध से बने उत्पादों की खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लिए जाने वाले सैंपलों की भी 100 प्रकार की जांच हो सकेगी। इतना ही नहीं, कोई भी एजेंसी या व्यक्ति शुल्क देकर यहां 100 प्रकार की जांच करा सकेगा।
एनडीआरआई में 2016 में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा लैब स्थापित की गई थी, लेकिन भविष्य की योजना को देखते हुए इसका नाम उसी नेशनल रेफरल सेंटर फॉर मिल्क क्लालिटी एंड सेफ्टी रखा गया है, जबकि उस समय ये लैब रेफरल नहीं थी। एनडीआरआई के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि अब संस्थान की लैब को रेफरल लैब के रूप में केंद्र सरकार ने गजट में नोटिफिकेशन करके मान्यता दे दी है। 2018 में इस लैब को एनएबीएल से मान्यता मिली थी। लैब को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा मान्यता दी जाती है। अब एनडीआरआई की लैब को एफडीए द्वारा रेफर किए जाने वाले सैंपल्स की जांच की भी मान्यता मिल गई है। इससे पहले दूध में तात्कालिक मिलावट बनाने वाली किट को भी इसी लैब में तैयार किया था। उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) आदि द्वारा दुग्ध या दुग्ध से बने प्रोडक्ट आदि के सैंपल लिए जाते हैं। इन सैंपल्स में की जाने वाली मिलावट की भी अब इस लैब में जांच हो सकेगी। इस लैब में 100 प्रकार के टेस्ट हो सकते हैं। जिसमें दुग्ध व दुग्ध उत्पादों में मिलावट, माइक्रो बायलॉजी, घी की गुणवत्ता व मिलावट, एफ्लाटॉक्सिन, खरपतवारनाशक, एंटीबायोटिक आदि की कई तरह की मिलावट की गुणवत्तारक और विश्वसनीय तरीके से पता लगाया जा सकेगा।
रेफरल लैब में मौजूदा समय में डॉ. राजन शर्मा, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. कमल गांधी, डॉ. ऋचा सिंह, डॉ. रघु और डॉ. सुदर्शन आदि अपनी टीम के साथ जांच करते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि पहले नोटिफाइड लैब, फिर रेफरल लैब और अंतिम पायदान की लैब रेफरेंस लैब होती है। रेफरल लैब की मान्यता मिलने के बाद अब रेफरेंस लैंब की मान्यता के लिए प्रयास किए जाएंगे। शेष लैब तो टेस्ट करती हैं लेकिन रेफरेंस लैब नए टेस्ट बनाती है, नए मानक तय करती है, उसे नए क्षेत्रों में काम करने का अधिकार प्राप्त होता है।
एनडीआरआई की लैब का दायरा अब काफी बढ़ गया है। अब यहां सरकारी सैंपल्स की जांच तो होगी ही, साथ ही देश की कोई भी एजेंसी या फिर कोई भी व्यक्ति दुग्ध या दुग्ध से बने किसी उत्पाद की जांच कराना चाहता है तो करा सकेगा। इससे एनडीआरआई की आय भी बढ़ेगी। आईसीएआर में इस स्तर की देश में सिर्फ चार ही लैब हैं, जिसमें एक करनाल की भी शामिल हैं। यहां 100 प्रकार की जांच हो सकती है।
डॉ. धीर सिंह, निदेशक एनडीआरआई करनाल
Hyderabad: Testing for adulterants in food items that are consumed on a daily basis will be now available at the doorstep of consumers in Telangana....
amarujala
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